HPSC Bharti Latest News 2025: हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) की भर्तियां इन दिनों विवादों में घिरी हुई हैं। पीजीटी (पोस्ट ग्रेजुएट टीचर) के 12 भर्तियों को लेकर 190 से अधिक याचिकाएं अदालत में दायर की गई हैं। इसके चलते इन भर्तियों का भविष्य अब हाई कोर्ट के फैसले पर निर्भर करता है। इस लेख में हम एचपीएससी की भर्तियों के सामने आने वाले मुख्य मुद्दों और उनकी प्रक्रिया को विस्तार से समझेंगे।
भर्तियों के परिणाम पर कोर्ट का प्रभाव
एचपीएससी द्वारा हाल ही में 20 दिनों में 13 भर्तियों के परिणाम जारी किए गए, लेकिन सभी भर्तियों को अदालत में चुनौती दी गई है। यह विवाद मुख्य रूप से चयन प्रक्रिया, आरक्षण, और दस्तावेजों के सत्यापन को लेकर है। कई मामलों में उम्मीदवारों ने यह दावा किया है कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है, और आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के जाति प्रमाण पत्रों की सही जांच नहीं की गई।
विवादित भर्तियों की सूची
पीजीटी की इन भर्तियों के खिलाफ 7 से 33 तक केस दर्ज किए गए हैं।
भर्ती | मुकदमों की संख्या |
---|---|
पीजीटी – मैथमेटिक्स | 33 |
पीजीटी – बायोलॉजी | 31 |
पीजीटी – कॉमर्स | 23 |
पीजीटी – पोलिटिकल साइंस | 16 |
पीजीटी – इंग्लिश | 7 |
पीजीटी – फिजिक्स | 7 |
पीजीटी – हिस्ट्री | 7 |
अदालत में मामलों की बढ़ती संख्या
एचपीएससी की भर्तियों के खिलाफ लगातार बढ़ती याचिकाएं आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती हैं। 2013 के बाद से अदालत के हस्तक्षेप के कारण कई बार भर्तियों के परिणाम संशोधित करने पड़े हैं। हाल के दो मामलों पर गौर करें:
- 2013 का मामला:
- हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा जारी किए गए परिणाम को अदालत ने संशोधित किया।
- इस फैसले से 13 उम्मीदवार बाहर हो गए।
- यह विवाद 2012 में हुए परीक्षा के दौरान चयन प्रक्रिया में अनियमितताओं को लेकर था।
- 2024 का मामला:
- अगस्त 2024 में जारी किए गए परिणाम को अदालत ने खारिज कर दिया।
- अदालत ने भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नियमों का सही अनुपालन नहीं होने का हवाला दिया।
दस्तावेजों की स्क्रूटनी और पारदर्शिता की कमी
एचपीएससी की भर्तियों में दस्तावेजों की जांच एक अहम मुद्दा बन गई है।
- कई बार उम्मीदवारों के जाति प्रमाण पत्र या अन्य आवश्यक दस्तावेजों को सही ढंग से सत्यापित नहीं किया गया।
- आयोग ने आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों से संबंधित दस्तावेजों की जांच में सख्ती नहीं दिखाई, जिससे विवाद उत्पन्न हुए।
- अदालत ने भी इस पर कड़ी टिप्पणी की है और आयोग को अधिक पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने की सलाह दी है।
अधिकारियों का पक्ष
एचपीएससी के अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर शिकायतें आरक्षित वर्ग के जाति प्रमाण पत्रों को लेकर हैं। उनका तर्क है कि आयोग ने प्रक्रिया के दौरान सभी आवश्यक जांच की है, लेकिन अदालत के फैसले के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।
एचपीएससी की हर भर्ती इन दिनों अदालतों के फैसलों और विवादों में घिरी हुई है। पारदर्शिता की कमी, दस्तावेजों की सही जांच न होना, और आरक्षण नियमों का सही अनुपालन न होने के कारण यह समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। आयोग को इन मुद्दों को हल करने के लिए अपनी प्रक्रिया में सुधार करना होगा, ताकि भविष्य में भर्तियों को कानूनी विवादों से बचाया जा सके।
यह स्थिति न केवल आयोग की साख पर सवाल उठाती है, बल्कि उम्मीदवारों के भविष्य को भी अनिश्चितता में डाल देती है। ऐसे में यह जरूरी है कि एचपीएससी अपनी कार्यप्रणाली को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाए।